The smart Trick of sidh kunjika That Nobody is Discussing
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देवी वैभवाश्चर्य अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्
"In the House which considered generates close to itself there is no like. This Place divides gentleman from man, and in it's many of the becoming, the battle of life, the agony and worry. Meditation will be the ending of this space, the ending of the me. Then partnership has really a distinct that means, for in that Place which isn't produced by considered, one other doesn't exist, for you do not exist. Meditation then is not the pursuit of some vision, even so sanctified by custom. Fairly it's the unlimited House where thought can not enter. To us, the minor Place made by considered around by itself, which can be the me, is extremely crucial, for this is each of the intellect is aware of, pinpointing by itself with anything which is in that Place.
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति सप्तमोऽध्यायः
नमस्ते शुंभहंत्र्यै च निशुंभासुरघातिनि ।
देवी वैभवाश्चर्य अष्टोत्तर शत नामावलि
ऐं-कारी सृष्टि-रूपायै, read more ह्रींकारी प्रतिपालिका।
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देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति त्रयोदशोऽध्यायः
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति त्रयोदशोऽध्यायः
यस्तु कुंजिकया देविहीनां सप्तशतीं पठेत्।
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति सप्तमोऽध्यायः
चाय वाले को बनाया पिता और टेस्ट ड्राइव के बहाने उड़ाई बाइक, आगरा में शातिर चोर का गजब कारनामा बॉलीवुड
दकारादि दुर्गा अष्टोत्तर शत नामावलि
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ परम कल्याणकारी है। सिद्ध कुंजिका स्तोत्र आपके जीवन की समस्याओं और विघ्नों को दूर करने के लिए एक शक्तिशाली उपाय है। मां दुर्गा के इस स्तोत्र का जो मनुष्य विषम परिस्थितियों में वाचन करता है, उसके समस्त कष्टों का अंत होता है। प्रस्तुत है श्रीरुद्रयामल के गौरीतंत्र में वर्णित सिद्ध कुंजिका स्तोत्र। सिद्ध कुंजिका स्तोत्र के लाभ